कोई कहता है मिठाइयों का त्योहार है तो कोई कहता है पटाखों का
पर कोइ ना सोचा उन गरीबों का ।।
पटाखों के साथ झूमते हैं हर कोई
पर रास्ते में घूमते बच्चों के दिल समझ ना पाता कोई ।।
किसी के घर पूर्णिमा की रोशनी दिखाई देती है
तो किसी के घर अमावस की कालिमा
दीवाली हो या होली हर किसी के आंगन में होती है रंगोली
पर कोई थोड़ी मिठाई मांग ले तो सुनना पड़ता हैं उसे गाली ।।
ना दो किसीको गाली सबके मन होते है मनाने को दीवाली
एक ही समाज के है हम आओ मिलके मानते हैं दीवाली ।।
0 Comments