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नारी: शक्ति की प्रतिमा

 

 🌸🌸नारी: शक्ति की प्रतिमा🌸🌸


यूं तो धरा से उस अंबर तक नारी का रूप निराला है,
गुण अनंत हैं इनमें ये रत्नों की जड़ी एक माला है,
सृष्टि सृजन की योग्यता दे हर दिन महिला दिवस मना,
नर नारायण सबको भाता इनके हाथों से निवाला है !!

केवल रण भूमि में शौर्य दिखाए, वो ही नहीं है वीरांगना,
आत्म सम्मान से कुटुंब सहित जो संजोए रखे घर अंगना 
जीवन पथ पर कठिनाइयों से जूझती है जो हर एक पल,
बुद्धि औ साहस से रण को जीत के रंग से रंगना !!

इक्कीसवीं सदी ने नारी में स्वाभिमान को जगा दिया,
मौका पाकर घर आंगन से पैर अंतरिक्ष में बढा दिया,
पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर अब वो चलती हैं,
सर्वोच्च पदों पे हो आसीन प्रतिभा का परचम लहरा दिया!

प्रहरी बन सीमाओं पर दुष्टों का संहार किया,
अपनी नीयत और नीति से भारत का भविष्य संवार दिया,
द्रौपदी इंदिरा सुषमा निर्मला कल्पना विजया संगीता,
नाम कोई हो नारीत्व ने अपनी बुलंदियों को विस्तार दिया !!

विश्व सुंदरी बनकए बढाती गौरव गाथा हमारी है,
खेल कूद अंतरिक्ष विज्ञान शिक्षा में भागीदारी है,
मुक्ताकाश में उड़ने दो इनको स्वतंत्र परवाज़ लिए,
नर को नारायण बनने की राह बढाती मातृशक्ति ही नारी है !


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Shubhdristi