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स्पेशल 30


💸💸 स्पेशल 30💸💸

शहर के नामी कोचिंग सेंटर के सामने लगे पोस्टर को वहां से गुजर रहे लगभग सभी लोग देख रहे थे । इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा के नतीजे आने के बाद ऐसे ही कई सारे कोचिंग सेंटर के सामने ही नहीं बल्कि शहर के तमाम कोचिंग सेंटरों के सामने ऐसा ही पोस्टर लगाया दिआ जाता है l एक दंपति प्रसिद्ध कोचिंग सेंटर के सामने कार से बहार उतरे और अंदर जाने से पहले बड़े उत्साह से लगाए गए पोस्टर को देखा, जिसमें इस वर्ष की प्रवेश परीक्षा के सफल छात्रों का फोटो, उनकी रैंक, टोटल मार्क्स, हॉल टिकट नंबर आदि छपा हुआ था । गेट के बाहर खड़ा चौकीदार दंपति के पास पहुंचा और धीमी आवाज में बोला, "सर, आप शायद बच्चे के दाखिले के लिए यहाँ आए हैं । कृपया रिसेप्शन पर जाएँ । इससे पहले कि वे कुछ कहते, एक युवक बाहर आया और उन्हें अंदर ले गया । जैसे ही वो लोग अंदर गए पास के चेयर में बैठी और एक महिला उनके पास आकर बोली “किसे दाखिल करवाना है ? लड़का या लड़की? इंजीनियरिंग या मेडिकल? कौन सी स्ट्रीम चाहिए? या बच्चा दोनों विषयों के लिए प्रयास करेगा?" गेट के बाहर पोस्टर की ओर इशारा करते हुए सज्जन ने कहा,  क्या ये सभी बच्चे आपके संस्थान में पढ़ रहे हैं?” महिला ने धीरे से बोली “जी हाँ सर! तभी वो दमप्ति उनको रोके और बोले में “सत्यप्रकाश तिवारी और ये हैं मेरी धर्मपत्नी सुशीला देवी” l महिला ने फिर बोली जी तिवारी जी! ये सभी बच्चे हमारे संस्थान के हैं और ये सभी इस साल की परीक्षा में रैंक होल्डर हैं” । इसलिए पोस्टर पर उनकी फोटो है । आप को तो मालूम ही होगा के हमारा संस्थान नंबर एक कोचिंग संस्थान है । लगता है कि आपका बच्चा इस साल मैट्रिक पास कर चुका है ।"

हाँ, हमारे बेटे ने इस साल मैट्रिक पास किया है । तो हम सोच रहे थे कि वह किस कॉलेज में पढ़ेगा और कोचिंग कहाँ से लेगा?" अब महिला ने बड़े उत्साह से बोली “हमारा संस्थान 12th और जॉइंट एंट्रांसेस के लिए टू-इन-वन कोचिंग प्रदान करता है । सभी बेहतरीन फैकल्टी यहां हैं । आईआईटी, एनआईटी, मेडिकल, जहां भी आप चाहते हैं  वहां आपका बेटा  जरूर क्वालीफाई कर जायेगा ।"

संस्थान का रिसेप्शन काउंटर और उसके सामने का वेटिंग हॉल किसी फाइव स्टार होटल की लॉबी जैसा लग रहा था । सेंट्रल एयर-कंडीशनिंग और खूबसूरत साज-सज्जा । हॉल में कई अभिभावक भी बैठे हुए थे । उस महिला ने कागज के टुकड़े पर उनके नाम और बेटे का नाम लिया और थोड़ी देर बाद संस्थान का टोकन और पैम्फलेट पकड़ा कर कहा, देखिये तिवारी जी अगर इस टोकन पर आपका नंबर आता है, तो आप उस कमरे में प्रवेश कर जाएंगे । पहले एक मैडम आपसे सारी जानकारी मांगेगी और रजिस्ट्रेशन के बाद हमारे संस्थान के को-ऑर्डिनेटर रमेश सर आपको सब कुछ समझा देंगे।"

कुछ देर बाद सत्यप्रकाश और सुशीला देवी दोनों ड्रेसिंग रूम में गए और सारी जानकारी देने से पहले काउंटर पर बैठी महिला से पूछे मैंने सुना है कि 12th के पढाई  के साथ यहाँ पर कोचिंग भी है । क्या आप 12th के पढाई और कोचिंग अलग-अलग देते  है ? क्लास का समय कब है? काउंटर पर बैठी महिला मुस्कुराई और बोली, “यहाँ पर सभी विषयों का सबसे अच्छा शिक्षक है । कक्षाएं और कोचिंग साथ-साथ चलेंगी । अच्छे परिणाम के लिए बच्चे को थोड़ी मेहनत जरूर करनी होगी । बच्चे को किसी और ट्यूशन, कोचिंग की जरूरत नहीं है । सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक कक्षाएं और प्रवेश के लिए कोचिंग । पंद्रह मिनट का चाय का ब्रेक और आधे घंटे का लंच ब्रेक । अगर आप घर से खाना नहीं लाते हैं, तो एक कैंटीन भी है । और शाम को 6:30  से 8:30  बजे तक बच्चे होमवर्क और ट्यूटोरियल क्लास करेंगे । रविवार सुबह 9:00 से 1:30 बजे तक सभी कक्षाओं का क्लास टेस्ट लिया जाता है”।

पास में बैठी हैरान सुशीला देवी बोली “क्लास सुबह आठ बजे से शाम के 6 बजे तक चलेगी । घर पहुंचते-पहुंचते रात के 8 बज जाएंगे । संडे ऑफ नहीं है । बच्चा कब आराम करेगा? यहां कोई खेल का मैदान है या नहीं?"

रिसेप्शन पर मौजूद महिला मुस्कुराई और बोली “बच्चे अगर खेलेंगे तो पढ़ेंगे कब? दो साल तक उन्हें सब कुछ भूलकर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना पड़ेगा । हम बच्चों को लगभग हॉस्टल में ही रखते हैं, इसलिए घर जाने की कोई टेंशन नहीं है । उनकी सारी जिम्मेदारी कॉलेज की है । आपको किसी बात की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है” । यहां के क्लासरूम की तरह हमारे सभी हॉस्टल वातानुकूलित हैं । और हां, अगर आपके बच्चे हॉस्टल में रहते हैं, तो आपको एडमिशन चार्ज में डिशकाउंट भी मिलेगा । मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए बहुत कम सीटें हैं । इसे अभी बुक करें दस हजार रुपये देकर, नहीं तो बाद में सीट नहीं मिलेगी ।"

सत्यप्रकाश बोले “एडमिशन का फीस कितना है”? काउंटर पर बैठी महिला ने बोली “दो वर्ष तक छात्रावास के खर्च सहित पांच से छह लाख रूपया,  अगर मैट्रिक में 95% से ऊपर हैं तो उनको 50% तक छूट मिलेगी l जरा सोचिये सर दो साल बाद जब गेट के बाहर उस पोस्टर पर आपके बेटे की फोटो लगी होगी, आपके बेटे को मशहूर मेडिकल/इंजीनियरिंग में एडमिशन मिल जायेगा, तब पैसे के बारे में क्या आप सोचेंगे?"

सत्यप्रकाश सपनो में ही खो गए बेटे की फोटो पोस्टर पर छपवाने मैं 

कुछ देर बाद संयोजक रमेश बाबू के कमरे में जाकर सत्यप्रकाश बोले,

- क्या कोई छूट होगी?

रमेश बाबू ने पूछा, मेडिकल या आईआईटी? आपके बेटे ने कितने प्रतिशत अंक हासिल किए हैं?" सत्यप्रकाश ने गले को थोड़ा नरम करते हुए बोले  “हमारे बेटे को सेकेंड डिविजन मिला है । क्या उसे दाखिला मिलेगा? उसे अच्छे सरकारी कॉलेज में सीट नहीं मिल रहा है । चलो मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों के लिए एडमिशन ले लेते हैं जिसमे भी वो अच्छा करेगा वहीं पर दाखिला करवा देंगे ।"

रमेश बाबू मुस्कुराए और बोले, “इसलिए हम दाखिले में डिस्काउंट नहीं दे रहे हैं ;  लेकिन अगर आप दो लाख रुपये और भरेंगे तो आपके बेटे को केवल यहां प्रवेश और कोचिंग मिलेगी वो नहीं बल्कि उसको स्पेशल 30 कक्षा में पढ़ने की व्यवस्था हम करवाएंगे और आप देखिएगा तिवारी जी आप के बेटे का फोटो पोस्टर पर जरूर छपेगा” l 

सत्यप्रकाश मुस्कुराए और बोले ये स्पेशल 30 क्या है?

 रमेश बाबू  बोले “हम केवल 30  मेधावी बच्चों का चयन करते हैं और अलग से उनको पढ़ाते  हैं । उनकी एंट्रेंस में अच्छी रैंक होनी चाहिए इसलिए, हम उस कक्षा में विशेष मामले के रूप में हम उनके पेरेंट्स से कुछ ज्यादा फीस लेते हैं और हम उनको गरंटी देते हैं की उनके बच्चों का फोटो पोस्टर पर जरूर छपेगी” l  

तभी सत्यप्रकाश ने पूछा, क्या उस बच्चे पर कोई मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है जो स्पेशल 30 में नहीं है? भरोसे की कमी, तनाव ये सब तो होता होगा बच्चों में क्योँ की आजकल के बच्चे इन दिनों बहुत संवेदनशील हैं।"

पास में बैठी सुशीला देवी ये सब सुनकर चिहक उठी और बोली क्या आप लोग बाकि सारे बच्चों को ठीक से पढ़ाते नहीं है? क्या सभी बच्चों को एंट्रेंस में अच्छी रैंक मिलती है?  कुछ बच्चे फ़ैल नहीं हो जाते? 

रमेश बाबू थोड़ा अचंभे में पड़ गए, उनके बगल में बैठे एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा “नहीं, नहीं ऐसा कोई बात नहीं है मैडम जी! हम सभी बच्चों को अच्छे से पढ़ाते हैं और ध्यान रखते हैं कि वे प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हों । हमारा कोई भी बच्चा 12th कक्षा की परीक्षा में फ़ैल नहीं होता । क्योंकि परीक्षा हमारे संस्थान में होती है। इसलिए वे हमारे हाथ में हैं। लेकिन एंट्रेंस एग्जाम बहार के कॉलेजेस में होते हैं जो बच्चे एंट्रेंस में क्वालीफाई नहीं हो पाते वो बच्चे और किधर भी एडमिशन न लेकर हमारे पास ही लॉन्ग टर्म स्पेशल कोचिंग में दाखिला ले लेते हैं l

रमेश बाबू ने गंभीर स्वर में कहा, “देखिये तिवारी जी! सच तो यह है कि जो माता-पिता अपने बच्चों को यहां पढ़ाने के लिए इतना पैसा देते हैं, अगर उनके बच्चों को अच्छी रैंक नहीं मिलती है, तो वे कुछ और पैसे दे कर अपने बच्चों को प्राइवेट इंजीनियरिंग या मेडिकल कॉलेजों दाखिला करवा लेते हैं जिसकी सहायता हम अपनी तरफ से करवाते हैं l 

सत्यप्रकाश ने अपना गला साफ किया और बोले, “खैर, मैंने सुना है कि इसी शहर में आपके कई और सारे ब्रांचेस भी हैं और सभी ब्रांचेस में आप स्पेशल 30 वर्ग संख्या के लिए अधिक पैसे लेते हैं। एक और शिकायत भी मेरे कानों तक पहुंची । आपके संस्थान के बाहर कुछ बच्चों की रैंक वाला पोस्टर छपा है, लेकिन वो बच्चे आपके  संस्थान के  नहीं हैं”।

चकित रमेश बाबू ने कहा, किसने कहा आप से ये सब?

सत्यप्रकाश ने कहा, मेरे पास सबूत है रमेश बाबू!  आपने भारत के अलग-अलग शहरों  के कोचिंग सेंटर से बच्चों का फोटो आपने जमाकर के एक बड़ा सा पोस्टर बना लिए हैं जिस में कई सlरे SC/ST कोटा के बच्चे हैं और आपने उन्ही बच्चों के रोल नंबर और मार्क्स फोटो के निचे आपने दिए हैं  l सच तो ये है की इस साल आप के इस सेंटर से एक भी बच्चा किसी भी प्रवेश परीक्षा में पास नहीं हुआ है ।

थोड़ी देर बाद हो हला हुआ और कुछ और लोग कमरे में दाखिल हुए। रमेश बाबू उत्तेजित हो गए और चिल्लाए, " सिक्योरिटी गार्ड्स कहाँ हो तुम सब ? इन सबकी खबर जल्दी से जाकर  पुलिस स्टेशन में दे के आओ l  कमरे में आए लोगों ने कहा, हां, हां, पुलिस को बुलाओ  “तुम झूठे मामले में जेल जाओगे।"

सत्यप्रकाश खड़े हुए और बोले, रमेश बाबू, मैं एक मनोचिकित्सक, मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता हूं और ये सुशिला जी मेरे सहयोगी हैं l मैं किसी के दाखिले के लिए नहीं आया हूं । मेरे दोस्त का बेटा विकास आपके संस्थान में पढ़ रहा है और स्पेशल 30 में ना आने  की वजह से वो अवसाद से पीड़ित है और मेरे इलाज में है । आपके इसी पोस्टर विज्ञापन को देखकर हजारों बच्चे और उनके माता-पिता उनका बेटा बेटीओं को इसी पोस्टर में देखने का सपने देख रहे हैं। मुट्ठी भर बच्चों को छोड़कर, अधिकांश बच्चे अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं और उनके माता-पिता लोक लाज के कारण चुप्पी साधे हुए हैं  l  रिजल्ट अच्छा नहीं आया तो सारा दोष बच्चे का है । पैसा आपके इस संस्थानों के लिए सब कुछ है और हर साल प्रवेश लेने वाले बच्चे आपके लिए सिर्फ नंबर हैं l आपके लिए ये पोस्टर सिर्फ एक विज्ञापन नहीं बल्कि माता पिता और उनके बच्चों को लुभाने का एक जाल है ।

कमरे में खड़े अन्य लोगों ने कहा, यहाँ पर पढ़ रहे सभी बच्चों के पेरेंट्स अभी यहाँ पर आ रहे हैं  l घबराते हुए रमेश बाबू ने कहा “देखिये किसी को अगर कोई शिकायत है तो शांत होकर हमे बताइये हम उसका समाधान निकालेंगे l लेकिन कृपया करके शोर मचाना बंद करिये” l

सबको बाहर ले जाने से पहले सत्यप्रकाश मुस्कुराए और बोले  "हम यहां स्पेशल पोस्टर लगाने आए हैं” l  कुछ देर बाद संस्थान का एक कर्मचारी दौड़कर रमेश बाबू के पास आया और बोला, सर वो लोग कई बड़े-बड़े पोस्टर लगा रहे हैं, जिनमें सैकड़ों बच्चों के फोटो, रोल नंबर और एंट्रेंस रैंक नंबर छपे हुए हैं” l  रमेश बाबू ने हक्का-बक्का होकर बाहर निकलते हुए पूछा “कौन सा पोस्टर और क्यों लगा रहें हैं”?  उस आदमी ने धीमी आवाज़ में कहा " सर ! उस पोस्टर पर उन बच्चों का फोटो है जिन्हें बहुत खराब मार्क्स और रैंक के कारण इस वर्ष किसी भी अच्छे मेडिकल/इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलेगा और वो सब हमारे संस्थान से हैं” l रमेश बाबू बाहर टंगे पोस्टर को देख रहे थे l  ठीक उसी वक़्त रिसेप्शन में बैठी महिला की मोबाइल बज उठा जिसका रिंगटोन था “साथिया ये तूने क्या किया”

सह - प्राध्यापक

रोलैंड फार्मेसी कॉलेज, ब्रह्मपुर, ओडिशा


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Shubhdristi